जागे आदमी का ज़िंदगी स्वयं साथ देती है || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2013)
2019-11-02
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वीडियो जानकारी:
संवाद सत्र
७ नवम्बर २०१३
ए.आई.टी
प्रसंग:
जागे आदमी होने का क्या अर्थ है?
कैसे जाने के हम नींद में जिये जा रहे है या जागे हुए है?
क्या सिर्फ आध्यात्म ही एक राह है आँखे खोल कर देखने की?